शाहजहांपुर, मार्च 20 -- शाहजहांपुर के चित्रा टाकीज में हो रही श्रीमद भागवत कथा के तृतीय दिवस व्यास डा. आचार्य दामोदर दीक्षित ने सुनाया कि काम का नाश भगवान के नाम से होता है। अभिमान का नाश क्षमा से होता है। कृपणता का नाश दान से होता है। पुत्रेष्णा, लोकेष्णा, वित्तेष्णा से मुक्ति का मार्ग हमें ग्रंथों से मिलता है। परमात्मा ने सभी को तीन चीजें दीं, समय, शक्ति और सम्पति इनके सदुपयोग और दुरुपयोगकर्ता स्वतंत्र है। सदुपयोग करने वाले महापुरुष कहलाते हैं और दुरुपयोग करने वाले दुष्ट कहलाते हैं और कष्ट भोगते हैं। भगवान को अपना बनाने के लिए कोई सम्बन्ध बना लेना चाहिए, प्रेमी भाव, भ्राता रक्षा सूत्र बांधकर भाई का रिश्ता आदि कैसा भी रिश्ता रखना चाहिए। हिरण्याक्ष का भगवान ने उद्धार वराह अवतार ले कर किया। व्यास ने बताया कि धन पर दृष्टि रखने वाला प्रत्येक...
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