नई दिल्ली, जून 26 -- बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक फैसले में कहा कि एक महिला को सिर्फ इसलिए अलग हुए पति से वित्तीय सहायता से वंचित नहीं किया जा सकता क्योंकि वह कमाती है। कामकाजी महिला को भी अलग हुए पति से गुजारा भत्ता पाने का हक है। न्यायमूर्ति मंजूषा देशपांडे की पीठ ने 18 जून के आदेश में, जिसकी एक प्रति गुरुवार को उपलब्ध कराई गई, कहा कि पत्नी उसी जीवन स्तर की हकदार है जिसकी वह अलग होने से पहले आदी थी। अदालत ने एक व्यक्ति द्वारा अगस्त 2023 के पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी। परिवार अदालत ने उसे अपनी पत्नी को 15,000 रुपये मासिक गुजारा भत्ता देने का निर्देश दिया गया था। व्यक्ति ने कहा कि उसकी पत्नी एक कामकाजी महिला है जो 25,000 रुपये प्रति माह से अधिक कमाती है और इसलिए उसे उससे 'उच्च गुजारा भत्ता की जरूरत नहीं है। अदा...