नई दिल्ली, जुलाई 17 -- नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण करने जा रहे दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने बुधवार को कहा कि न्यायिक संस्थाओं के विकास के साथ-साथ ईमानदारी व स्वतंत्रता भी स्थिर रहनी चाहिए। न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कानूनी पेशे में कार्य-जीवन संतुलन नहीं बल्कि सिर्फ काम पर जोर दिया। न्यायमूर्ति बाखरू दक्षिणी राज्य के उच्च न्यायालय में अपनी पदोन्नति के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि मेरे विधि शोधकर्ताओं ने सीखा है कि इस पेशे में कार्य-जीवन संतुलन नहीं है। सिर्फ काम है। यही जीवन है। 59 वर्षीय न्यायमूर्ति बाखरू ने कहा कि ईमानदारी, सहानुभूति और स्वतंत्रता (न्यायिक संस्था का मूल) स्थिर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्था विकसित होती है, लेकिन इसके ...