नई दिल्ली, अप्रैल 29 -- उच्च्तम न्यायालय ने सोमवार को दोहराया कि 'काजी अदालत', 'दारुल कजा', 'शरिया अदालत' या इसी तरह के किसी भी निकाय को भारतीय कानून के तहत मान्यता प्राप्त नहीं है और उनके फैसले कानूनी रूप से लागू नहीं होते हैं। न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने विश्व लोचन मदन बनाम भारत संघ में 2014 की मिसाल का उल्लेख किया जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि शरीयत अदालतों और फतवों को कोई कानूनी मंजूरी नहीं है। न्यायालय एक महिला द्वारा दायर अपील पर सुनवाई कर रहा था। याचिका में इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा एक पारिवारिक न्यायालय के फैसले की पुष्टि को चुनौती दी गई थी जिसमें उसे भरण-पोषण देने से इनकार किया गया था। पारिवारिक न्यायालय ने अपने निष्कर्षों को आंशिक रूप से, 'काजी कोर्ट' के समक्ष प्रस्तुत किए गए समझौते पर आध...