मुजफ्फरपुर, जून 17 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। मुजफ्फरपुर रचनाकार परिवार व हरीतिमा परिवार के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को हरीतिमा प्रांगण में आयोजित काव्य संध्या सह सृजनात्मक संवाद का आयोजन किया गया। इसमें भारतभूषण अग्रवाल सम्मान, महेश अंजुम कविता सम्मान व रजा फेलोशिप से विभूषित केरल से आई शहर की लेखिका डॉ. अनामिका 'अनु' ने संस्पर्शी काव्यात्मक गद्य अंश पाठ के क्रम में कहा कि कागज सलीब है, जिसपर हम येशु टांकते हैं। इसी पाठ की कड़ी में उन्होंने आगे भावपूर्ण कथन व्यक्त किया कि कितने तो लोग हैं। कितने रंग हैं। हम सबों के लिए कहां आए होते हैं। कुछ के लिए आते हैं और उनसे ही रूठकर चले भी जाते हैं। मना क्यों नहीं लेते? अहंकार धर्म की तरह शामिल हैं। भक्ति आदत की तरह... प्रेम भक्ति नहीं है, यह शहद का जल में घुलना है...। सुन्दर गद्य-पाठ के...
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