लखनऊ, अगस्त 6 -- लखनऊ, कार्यालय संवाददाता कवि वीरेन डंगवाल की 78 वीं जयंती पर जन संस्कृति मंच लखनऊ की ओर से वीरेन की याद में कार्यक्रम आयोजित किया गया। मौसम को देखते हुए कार्यक्रम ऑनलाइन किया गया। जिसमें सुचित माथुर ने वीरेन डंगवाल के काव्य वैविध्य को उकेरती तीन कविताएं सुनाईं। जिसमें इतने भले नहीं बन जाना साथी, तोप और हमारा समाज कविता शामिल थी। युवा आलोचक रोहित यादव ने वीरेन डंगवाल की कविताओं में समकालीन राजनीतिक यथार्थ की चेतना पर अपनी बात रखी। उन्होंने भारतीय राजनीति में अपराधियों की घुसपैठ पर कवि की दृष्टि को रेखांकित किया और दिखाया कि कैसे डोमाजी उस्ताद जो कि मुक्तिबोध की कविता अंधेरे में का एक पात्र है शहर में कुख्यात हत्यारा के तौर पर प्रसिद्ध है। आगे चलकर वह विधानसभा में जाकर माननीय हो गया। वीरेन इसी का उल्लेख अपनी कविता हड्डी खोप...