धनबाद, नवम्बर 17 -- धनबाद, वरीय संवाददाता झारखंड मैदान में पिछले छह दिनों से चल रहे दार्शनिक आध्यात्मिक प्रवचन शृंखला का समापन हुआ। रविवार को अंतिम दिन भक्तों की श्रद्धा उमड़ी। कथावाचक नीलमणि जी ने रविवार की कथा में कर्मयोग और कर्मसंन्यास के विषय में बताया। कहा कि यही दो मार्ग साधना की ओर ले जाते हैं। बताया कि कर्मयोग का तात्पर्य है, मन का लगाव भगवान में रहे और इंद्रिय मन बुद्धि से कोई संसार का कर्म करे। नीलमणि जी ने कर्मसंन्यास की साधना का वर्णन करते हुए कहा कि मन से भगवान के रूप का ध्यान करना है, जैसा आप रूप बनाना चाहें बना सकते हैं, लेकिन भावना भगवान की ही रहे। उन्होंने ये भी बताया कि ये जरूरी नहीं हम रूपध्यान में भगवान को बंशी मुकुट इत्यादि से ही शृंगार करें, बल्कि हम मन चाहा शृंगार वेशभूषा भी बना सकते हैं। आधुनिक जीवन शैली के अनुसार ...