चतरा, अप्रैल 4 -- मयुरहंड निज प्रतिनिधि जिले का मयुरहंड प्रखंड का करमा एक ऐसा गांव है, जहां की परम्परा अनोखी है। गांव की आबादी करीब पांच हजार है। जिसमे ग्यारह जाती के लोग रहते है। सभी जाति के लोग अलग-अलग स्थानों पर शव का अंतिम संस्कार करते है। सभी जाति का अलग-अलग श्मशान घाट भी है। इसमें राणा, तेली साव जाति का उतर टोला जंगल में, यादव जाति का जंगल में, ठाकुर, बनिया और सोनार जाती के दनदाहा घाटी के जंगल में, रविदास जाति का छठ तालाब के बगल में, भुइयां जाति और पासवान जाति का आरभुसाई नदी घाट में, खरवार बनिया का आरभुसाई नदी के दूसरे घाट में और बिरहोर जाति के लोगों का जंगल के अलग भाग में श्मशान घाट है। एक स्थान में कुछ जाति का एक ही जगह पर श्मशान घाट है, लेकिन वहां भी सीमांकन किया गया है। एक जाति के लोग दूसरे जातिाी के सीमा क्षेत्र में शव का अंतिम...
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