नई दिल्ली, अगस्त 25 -- सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक लहजे में कहा है कि किसी को भी कमाई करने के मकसद से किसी का भी मजाक उड़ाने की आजादी नहीं दी सकती और उसे अभिव्यक्ति की आजादी के तहत संरक्षण नहीं दिया जा सकता है। कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी की कि जब आप अपने भाषण का व्यवसायीकरण कर रहे हैं, तो आप इसके जरिए किसी समुदाय की भावनाओं को ठेस नहीं पहुँचा सकते। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही कॉमेडिन समय रैना और अन्य हास्य कलाकारों को विकलांग व्यक्तियों का मज़ाक उड़ाने वाले चुटकुलों के लिए कड़ी फटकार लगाई। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ क्योर एसएमए फाउंडेशन ऑफ इंडिया की एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से प्रभावित मरीजों और परिवारों की मदद करता है। याचिका में विकलांग व्यक्तियों का मज़ाक उड़ाने वाले चुटकुलों क...