नई दिल्ली, दिसम्बर 5 -- पिछले कुछ दिनों से अमेरिकी डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये में गिरावट आ रहीहै और यह 90 रुपये प्रति डॉलर का मनोवैज्ञानिक स्तर तोड़ चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि रुपये की इस कमजोरी का मिश्रित असर दिखेगा। कुछ क्षेत्रों खासकर श्रम प्रधान निर्यात क्षेत्रों को इसका बड़ा फायदा मिल सकता है। वहीं, कई मोर्चों पर दबाव भी बढ़ेगा। आने वाले दिनों में पेट्रोल, डीजल से लेकर कई वस्तुओं एवं सेवाओं की कीमतें बढ़ सकती हैं।असली झटका अमेरिकी टैरिफ से एसबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए भारी-भरकम टैरिफ ही रुपये की कमजोरी की सबसे बड़ी वजह हैं। अमेरिका ने अगस्त में भारत के मुख्य निर्यातों पर 50% तक का टैरिफ लगा दिया। चीन, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों पर यह टैरिफ 15-30% ही है। इसका असर यह हुआ कि इस साल अक्टूबर म...