गोपालगंज, मई 22 -- जुगुलकिशोर गुप्ता (उम्र 65 वर्ष) मैंने थावे स्टेशन को उस रूप में देखा है, जब यहां बस एक छोटा-सा यात्री शेड होता था । प्लेटफॉर्म पर बैठने की भी व्यवस्था नहीं थी। टिकट लेने के लिए लंबी कतारें लगती थीं। बरसात में तो लोग भीग जाते थे। आज जब स्टेशन को देखा तो यकीन नहीं हुआ कि यह वही थावे है। स्टेशन की इमारत इतनी सुंदर और भव्य बन गई है कि लगता है मां थावे वाली के मंदिर का ही कोई हिस्सा हो। रात में रोशनी से जगमग करता स्टेशन किसी त्योहार की तरह लगता है। प्लेटफॉर्म पर छाजन की व्यवस्था, बैठने के लिए सुंदर बेंचें और साफ-सुथरा वातावरण - सब कुछ बहुत ही आधुनिक हो गया है। अब यहां आना एक सुखद अनुभव हो गया है। मैं सरकार और रेलवे को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने हमारे थावे को इतना सुंदर रूप दिया। शारदानंद प्रसाद (उम्र 69 वर्ष) थावे स्टेशन ...
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