रविन्द्र थलवाल। उत्तरकाशी, अगस्त 13 -- गंगोत्री हाईवे पर धराली बाजार को बसे अभी 40 साल ही हुए थे। इससे पहले यहां एक धर्मशाला और पांच छोटी दुकानें ही थीं। पांच अगस्त को कुदरत का कहर इस पूरे बाजार को पलभर में तबाह कर गया। यहां तीन मंजिला होटल, रेस्टोरेंट और रिजॉर्ट सब सैलाब में समा गए, जहां पर चार दशक पुराना बाजार था, अब चारों ओर मलबा पटा हुआ है।40 साल पहले थी बस एक धर्मशाला धराली गांव के जयभगवान सिंह पंवार ने बताया कि धराली में 1985 तक एक धर्मशाला थी, जो जयपुर वालों की थी। इसके अलावा चार-पांच दुकानें थीं, तब चारधाम यात्री इसी धर्मशाला में ठहरते थे। धराली पौराणिककाल से यात्रियों का ठहराव स्थान रहा है। 1985 में धराली में आग लगी, धर्मशाला और दुकानें जलकर राख हो गई, इसके बाद खीरगंगा के दूसरी तरफ नया बाजार बसना शुरू हुआ। 1991 तक यहां तीन होटल ब...