नई दिल्ली, जून 11 -- चीफ जस्टिस बीआर गवई का कहना है कि भारत का संविधान एक सामाजिक दस्तावेज है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान सत्ता का बैलेंस बनाने और लोगों का सम्मान बहाल करने के लिए जरूरी हस्तक्षेप करने का साहस भी रखता है। उन्होंने कहा कि भारत का संविधान यह दिखावा नहीं करता कि सभी समान हैं बल्कि वह इसके लिए कदम उठाने का साहस भी दिखाता है। न्यायमूर्ति गवई ने मंगलवार को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में 'प्रतिनिधित्व से कार्यान्वयन तक: संविधान के वादे को मूर्त रूप देना' विषय पर अपने संबोधन में नगरपालिका के एक स्कूल से लेकर देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक अपनी यात्रा का उल्लेख किया। लंदन स्थित ऑक्सफोर्ड यूनियन एक संस्था है, जहां लोग विभिन्न औपचारिक विषयों पर परिचर्चा करते हैं। उन्होंने संविधान मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ बी आर आंबेडकर की भ...