प्रयागराज, अक्टूबर 7 -- प्रयागराज, संवाददाता। चदरिया झीनी रे झीनी..राम नाम की बीनी चदरिया भजन गाने वाले कबीर ने आज से छह सौ वर्ष पहले कपड़ा बुनते हुए समाज का ऐसा तानाबाना बुना कि आज भी भारत विभिन्नता में एकता को जीकर अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक और आध्यात्मिक गौरव को पूरी दुनिया में फैलाया है। वे वैश्विक एकता के जीते जागते मसीहा हैं। यह बातें कबीर पारख संस्थान के प्रमुख संत धर्मेंद्र ने प्रीतमनगर स्थित संस्थान में चल रहे तीन दिवसीय सत्संग समारोह के समापन अवसर पर कही। उन्होंने कहा कि मन चंगा तो कठौती में गंगा की बात को हम समझ लें तो हम सदैव मन, वाणी व कर्म की त्रिवेणी में गोता लगा रहे हैं। छत्तीसगढ़ से आईं साध्वी संतुष्टि ने महिलाओं की ओर इशारा करते हुए कहा कि जब वह अपनी मर्यादा में जीती हैं तो फिर स्वयं दुर्गा, रणचंडी, सीता, लक्ष्मी व पार्वती...
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