बागेश्वर, जून 22 -- गरुड़। संवाददाता विलुप्त होती हुड़किया बौल परंपरा को गरुड़ विकास खंड के कोठू गांव ने आज तक जिंदा रखा है। कुमाउं में धान की रोपाई और गुड़ाई करते हुए खेत में लोक गीत गाने की परंपरा बनी है। एक व्यक्ति वाद्य यंत्र हुड़के को बजाता है और साथ में गाता है रोपाई लगाने वाले उसे दुहराते हैं। हुड़के की घमक और गीत के साथ तीखी धूप में दिन भर कमर झुका कर काम करती महिलाएं थकन की सिकन अपने अपने चेहरे पर नहीं पड़ने देती हैं।

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