देवघर, मार्च 21 -- देवघर, प्रतिनिधि। कठपुतली का खेल अत्यंत प्राचीन नाटकीय खेल है। जो प्रशांत महासागर के पश्चिमी तट से पूर्वी तट तक-व्यापक रूप से प्रचलित रहा है। विश्व कठपुतली दिवस के मौके पर स्थानीय ओमसत्यम् इंस्टिट्यूट ऑफ फिल्म, ड्रामा एंड फाइन आर्ट्स के निदेशक डॉ.प्रदीप कुमार सिंह देव ने कहा कि भारत में पारंपरिक पुतली नाटकों की कथा वस्तु में पौराणिक साहित्य, लोककथाएं और किवदंतियों की महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। पहले अमर सिंह राठौड़, पृथ्वीराज, हीर-रांझा, लैला-मजनूं और शीरीं-फ़रहाद की कथाएं ही कठपुतली खेल में दिखाई जाती थी। यह दिवस प्रत्येक वर्ष 21 मार्च को मनाया जाता है। यह खेल गुड़ियों अथवा पुतलियों द्वारा खेला जाता है। गुड़ियों के नर मादा रूपों द्वारा जीवन के अनेक प्रसंगों की विभिन्न विधियों से इसमें अभिव्यक्ति की जाती है और जीवन को न...