कटिहार, सितम्बर 24 -- कटिहार, निज प्रतिनिधि। गंगा, कोसी व महानंदा नदी से घिरे कटिहार में दुर्गापूजा के अवसर पर अंग क्षेत्र व पश्चिम बंगाल की संस्कृति झलक देखने को मिलती है। कई पंडालों में बंगाल की तर्ज पर पंडाल का निर्माण व पूजा-अर्चना भी की जाती है। दुर्गा पूजा पर ढ़ाक की आवाज, बंगाली परिधान, पंडालों में धुपची प्रतियोगिता तथा प्रतिमा विसर्जन के समय महिलाओं द्वारा सिंदुर की होली खेला जाना भी विशेष आकर्षण होता है। रेलवे के विकास को लेकर कुछ दशक पूर्व बड़ी संख्या में बंगाली रेलकर्मी अपने परिवारों के साथ यहां आए। कई परिवार यहीं बस गए। बताया जाता है कि दुर्गा पूजा पर पंडाल बनाने की परंपरा बंगाली परिवारों द्वारा ही शुरू की गई थी। अंग व मिथिलांचल की संस्कृति की झलक भी दुर्गापूजा में देखने को मिलती है। अधिकांश स्थानों पर बंगाल की तर्ज पर होता है...
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