भागलपुर, नवम्बर 20 -- - प्रस्तुति: ओमप्रकाश अम्बुज/देवाशीष गुप्ता कटिहार शहर की चमकती सड़कों और भीड़भाड़ वाले बाजारों के बीच एक ऐसी कड़वी सच्चाई छिपी है, जो रोजाना हजारों लोगों को शर्मिंदगी का सामना कराती है। 45 वार्डों वाले नगर निगम में सार्वजनिक शौचालयों की बदहाली शहर की संवेदनशीलता पर सीधा सवाल खड़ा करती है। महिलाएं हों या यात्री सबको जरूरत के वक्त सम्मानजनक सुविधा नहीं मिलती। डेहरिया चौक से स्टेशन रोड तक फैली गंदगी, टूटे दरवाजे और बदबू से महकते शौचालय सिर्फ असुविधा नहीं, बल्कि शहर की व्यवस्था की विफलता की कहानी कहते हैं। कटिहार आज साफ-सुथरे भविष्य की उम्मीद में प्रशासन से जवाब मांग रहा है। कटिहार शहर रोज बदल रहा है। नई सड़कें, बढ़ती दुकानें, बढ़ती भीड़., लेकिन एक ऐसी मूलभूत जरूरत आज भी अधूरी है, जो किसी भी शहर की पहचान और उसकी संवेदनश...