भागलपुर, अगस्त 11 -- कुरसेला, निज प्रतिनिधि 13 अगस्त 1942 आजादी की लड़ाई का वह दिन, जब कुरसेला की धरती पांच वीर सपूतों के लहू से लाल हो गई। महात्मा गांधी के 9 अगस्त को दिए अंग्रेजों भारत छोड़ो के नारे ने पूरे देश के साथ-साथ कुरसेला परिक्षेत्र के युवाओं में भी देशभक्ति की ज्वाला जगा दी। लालजी मंडल, नटाय परिहार, धधुरी मोदी, जागेश्वर महलदार और रामचू यादव के नेतृत्व में क्रांतिकारी वीरों ने देवीपुर, टीकापट्टी और रूपौली में 10 से 12 अगस्त तक बैठकों के जरिए आंदोलन की रूपरेखा तय की। सिर पर कफन बांधकर, मातृभूमि को गुलामी की बेड़ियों से मुक्त कराने का संकल्प लेकर वे अंग्रेजी हुकूमत से सीधा टकराने निकल पड़े। 13 अगस्त को देवीपुर के समीप मालियाबारी में इन वीरों ने कटिहार-बरेनी रेलखंड की पटरियां उखाड़कर अंग्रेजी शासन को करारा संदेश दिया। लेकिन अंग्रेज...