लोहरदगा, अगस्त 29 -- लोहरदगा। लोहरदगा के उपनगरीय क्षेत्र नदिया करचाटोली टोली निवासी श्रमिक सानिया उरांव और श्रमिक सातो उरांव की 18 पुत्री सरिता कुमारी ने कठिन परिश्रम के बदौलत अभाव ग्रस्त जिंदगी को साइकिलिंग के जरिए बदलने का जो बीड़ा उठाया है। इसमें उसे सफलता मिलने लगी है। मिट्टी के छोटे से जीर्ण-शीर्ण घर में पांच बहनों और दो भाइयों के साथ जीवन व्यतीत करने वाली सरिता अपने नाम के अनुरूप वह कर दिखाया जिसमें हर आदिवासी को गर्व होने लगा है। सरिता के मां- पिताजी रेजा- कुली का काम कर किसी तरह परिवार का लालन-पोषण करने में लगे हुए हैं। इसी दौरान तीन बेटियों का और एक बेटे का सानिया ने विवाह तो कर दिया, पर पारिवारिक स्थिति में सुधार नहीं हो पाया। तो घर में बकरी पालन का काम शुरू किया गया। दुर्गावती, सरस्वती और सविता उरांव के विवाह संपन्न हुए, तो बेट...