मुजफ्फरपुर, मार्च 1 -- मुजफ्फरपुर, प्रमुख संवाददाता। ऐतिहासिक शोध में कुछ प्रमुख चुनौतियां हैं, जैसे स्रोतों की उपलब्धता, सत्यापन और काल्पनिक दृष्टिकोण से बचाव। शोधार्थियों को विभिन्न स्रोतों का विवेकपूर्ण प्रयोग करना चाहिए और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल कर शोध कार्य में नयापन लाना चाहिए। उन्हें डिजिटल टेक्नोलॉजी और आर्काइव्स के महत्व को भी समझना होगा। ये बातें शनिवार को बीआरए बिहार विवि के इतिहास विभाग में ऐतिहासिक शोध की चुनौतियां एवं संभावनाएं विषय पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता एलएस कॉलेज के इतिहास विभाग के पूर्व अध्यक्ष इतिहासकार प्रो. भोजनंदन प्रसाद सिंह ने कही। पीएचडी कोर्स वर्क 2022 के शोधार्थियों के लिए आयोजित इस शोध व्याख्यान में उन्होंने ऐतिहासिक शोध में नई संभावनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने शोधार्थियों से कहा कि अगर इतिह...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.