शाहजहांपुर, मार्च 23 -- स्वामी शुक्रदेवानंद कालेज की एनसीसी यूनिट के तत्वाधान में विश्व जल दिवस के अवसर पर गोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए प्रोफ़ेसर आलोक मिश्रा ने कहा कि हमारे देश में प्राचीन काल से ही जल संरक्षण पर विशेष बल दिया जाता रहा है। तालाब बनाए जाते थे एवं कुएं खोदे जाते थे। वर्षा का जल तालाबों आदि में एकत्रित हो जाता था। इन तालाबों से मनुष्य ही नहीं, जीव-जंतु भी लाभान्वित होते थे, किन्तु कालांतर में प्राकृतिक एवं मनुष्य निर्मित जल स्रोत समाप्त होते जा रहे हैं। ऋग्वेद में जल संरक्षण के विषय में यह भी कहा गया है। इस अवसर पर बोलते हुए डॉ़ दुर्गविजय ने बताया कि बुद्ध के समय वाराणसी में अवस्थित एक ऐसे ही कूप पर यह निर्देश लिखा था, कि जो कोई भी मनुष्य इस कूप से जितना जल निकाले उतना ही पास में बने एक नाद या ल...