पीलीभीत, जून 10 -- किसी ने खबू कहा है कि खंडहर बता रहे हैं इमारत बुलंद थी। इन्हीं चंद लाइनों को उदाहरण बनाते हुए क्षेत्रीय लोग चाहते हैं कि आजादी से पहले की इस विरासत को सहेजा जाए। वर्ष 1914 की इस इमारत को संवारते हुए इसके प्राचीनता लुक को पर्यटन के हिसाब से लोकप्रिय बनाया जाए। ताकि यह भी पर्यटन सर्किट में शामिल की जा सके। आजादी से पहले करीब 1914 की बनी इस धर्मशाला को लेकर क्षेत्रीय लोगों ने हिन्दुस्तान संवाद में चर्चा की। क्षेत्रीय लोगों ने कहा कि शहर के बीचोंबीच खास निर्माणशैली से बनी इस धर्मशाला का अपना रुतबा रहा है। इस पर जड़ित शिलापट्ट पर लिखा है कि यह वर्ष 1914 के समय की है। जब देश आजाद भी नहीं हुआ था। मेस्टन धर्मशाला और लाला मूलचंद का नाम शिलापट्ट पर साफ तौर पर पढ़ा और देखा जा सकता है। माना जाता है कि आजादी से पहले जब अधिक होटल रिर...