नई दिल्ली, नवम्बर 21 -- कर्नाटक हाईकोर्ट ने जनता दल (एस) नेता एवं होले नरसीपुरा के विधायक एच. डी. रेवन्ना के खिलाफ आईपीसी की धारा 354ए के तहत यौन उत्पीड़न के आरोप को बरकरार रखा। अदालत ने हालांकि उनकी पूर्व घरेलू सहायिकता द्वारा दायर महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाने (आईपीसी की धारा 354) के आरोप को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को यह पड़ताल करने का निर्देश दिया कि क्या शिकायत दर्ज करने में देरी को सीआरपीसी की धारा 468 के तहत माफ किया जा सकता है? न्यायमूर्ति एम.आई. अरुण ने कहा कि शिकायत की विषय-वस्तु अधिक गंभीर धारा-354 के बजाय, धारा 354ए के तहत यौन उत्पीड़न के अपराध के अनुरूप थी। रेवन्ना ने प्राथमिकी रद्द करने का अनुरोध करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि शिकायत तीन साल की सीमा अवधि के बाद दायर की गई ...