रांची, दिसम्बर 5 -- रांची, हिन्दुस्तान ब्यूरो। वाम दलों का आरोप है कि मातृ उद्योग एचईसी देश की औद्योगिक आत्मनिर्भरता की रीढ़ है। लेकिन आज यह संस्थान केंद्र सरकार की नीतिगत उपेक्षा का शिकार है। घटनाओं से पता चलता है कि संस्थान को पुनर्जीवित करना नहीं, बल्कि बंद कर जमीन-संपत्ति को निजी हाथों में सौंपना है। एचईसी की स्थिति को लेकर शुक्रवार को विभिन्न वाम दलों ने सीपीआई राज्य कार्यालय में प्रेस वार्ता की। सभी ने कहा कि एचईसी को जानबूझकर उत्पादन विहीन बनाया गया है। 1200 करोड़ के तैयार रणनीतिक ऑर्डर वर्षों से रोक दिए गए। वर्किंग कैपिटल बंद कर दिया गया। नेताओं का कहना है कि मजदूर एवं अधिकारी 28 महीनों से बिना वेतन काम कर रहे हैं, फिर भी सरकार मौन है। आरोप लगाया कि दरअसल, इसके पीछे का लक्ष्य 5000 से अधिक एकड़ भूमि और अरबों की परिसंपत्तियां हैं। न...
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