लखनऊ, अगस्त 13 -- विश्व अंगदान दिवस पर मेदांता अस्पताल के चिकित्सकों ने लोगों से अंगदान के लिए आगे आने की अपील की है। मेदांता के मेडिकल डायरेक्टर डॉ. राकेश कपूर ने कहा कि एक ब्रेन डेड डोनर आठ लोगों की जान बचा सकता है। कई अन्य की ज़िंदगी को बेहतर कर सकता है। ज़रूरत है कि हम अपने परिवार से इस पर खुलकर बात करें। ब्रेन डेड ऑर्गन डोनर के रूप में पंजीकरण करवाएं। हृदय और फेफड़े 4-6 घंटे, लिवर 6-12 घंटे, किडनी 30 घंटे तक, आंतें 6 घंटे और पैंक्रियाज 6 घंटे तक ही सुरक्षित रहते हैं। डॉ. कपूर ने कहा कि दो लाख लोगों को किडनी की आवश्यकता होती है, लेकिन इसकी उपलब्धता महज आठ हजार है। करीब 50 हजार लिवर की जरूरत पर उपलब्धता सिर्फ 1,800 है। हर वर्ष करीब पांच लाख लोग दिल, लिवर, किडनी या फेफड़े जैसे अंगों के ट्रांसप्लांट के इंतज़ार के कारण जान गंवा देते हैं। ...
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