नई दिल्ली, मई 13 -- दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को कहा कि किसी व्यक्ति का विवाहेतर संबंध यानी एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर तब तक क्रूरता या आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जाता, जब तक यह साबित न हो जाए कि इससे पत्नी को परेशान या पीड़ा हुई है। न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने यह टिप्पणी दहेज हत्या के आरोपी पति को जमानत देते हुए की है। पीठ ने कहा कि विवाहेतर संबंध दहेज हत्या के लिए पति को फंसाने का आधार नहीं है। पीठ ने कहा कि यदि मृतक महिला की मौत का कारण विवाहेतर संबध थे तो इसमें दहेज की मांग बीच में कहां से आ सकती है। किसी एक आरोप पर ही विचार किया जाना उचित है। विवाहेतर संबंध व दहेज की मांग के बीच साक्ष्यों पर आधारित संबंध साबित किया जाना चाहिए। पेश मामले में दंपति की शादी को करीब पांच साल हुए थे। 18 मार्च, 2024 को पत्नी ने आत्महत्या कर ली थी...