प्रयागराज, फरवरी 21 -- महाकुम्भ नगर। समाज को एकता का संदेश देने वाले संत इस महाकुम्भ में धड़ों में बंटे दिखाई दिए। यह विवाद पूरी दुनिया के सामने आया। शंकराचार्यों का पीठ पर काबिज होने का विवाद हो या फिर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और दंडी संन्यासियों व किन्नर समुदाय का विवाद भी चर्चा में रहा। महाकुम्भ 2025 अब समाप्ति की ओर है। 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के साथ ही आधिकारिक तौर पर इसका समापन हो जाएगा। लेकिन यह मेला सदियों तक याद किया जाएगा। याद करने का पहला कारण तो सबसे बड़ा आयोजन होना है। जिसमें अब तक के सर्वाधिक श्रद्धालु पहुंचे और स्नान किया। वहीं संतों के विवाद भी इस मेले को याद करने का बड़ा कारण बना रहेगा। शंकराचार्यों की बात करें तो ज्योतिष्पीठ का विवाद किसी से छिपा नहीं है। हालांकि इस बार प्रशासन ने समझदारी दिखाते हुए दोनों पक्षों को अलग-...