नई दिल्ली, सितम्बर 24 -- पिछले कुछ दशकों से शिक्षा जगत को एक काल्पनिक विचार खूब परेशान कर रहा है कि 'टेक्नोलॉजी पढ़ा भी सकती है।' गौर कीजिए, विचार कभी मरते नहीं, बल्कि कई तो पूरी तरह गलत साबित होने के बावजूद इधर-उधर टहलते रहते हैं। 'नरबलि से प्रसन्न होकर देवता किस्मत बदल सकते हैं', एक ऐसा ही अंधविश्वास है, जो आज तक खत्म नहीं हुआ। संयोग से, आम अंधविश्वासों की तरह टेक्नोलॉजी संबंधी अंधविश्वास पर भी शायद ही कभी अमल हुआ। मगर यह अंधविश्वास इतना खतरनाक है कि विनाशकारी होने के बावजूद जनमानस को प्रेरित करता है। शिक्षा क्षेत्र में ऐसे कई अंधविश्वास पनपे, लेकिन उनमें से किसी में इसके जैसा आकर्षण नहीं है। 'टेक्नोलॉजी शिक्षण-कार्य कर सकती है' इसका मतलब है कि वह शिक्षकों की जगह काम कर सकती है। राजनीतिक मजबूरी और शिक्षक समुदाय के व्यापक विरोध की आशंका ...
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