बलिया, अगस्त 12 -- बलिया, संवाददाता। जिले में आवारा कुत्तों के साथ ही बंदरों और छुट्टा पशुओं का भी आतंक बढ़ता जा रहा है। शहर में रात को सुनसान सड़क पर कुत्तों का झुंड कब हमलावर हो जाए, किसी को नहीं पता। इन पर नियंत्रण की दिशा में अबतक कोई ठोस पहल नहीं हो सकी है। वन विभाग अपनी जिम्मेदारी नहीं होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ लेता है तो निकाय के लोग शेल्टर के लिए जगह चिह्नित करने में जुटे हैं। शहर के आधा दर्जन से अधिक मुहल्ले आवारा कुत्तों और बंदरों के उत्पात से परेशान हैं। आए दिन लोग इनके उत्पात से परेशान हैं। जिला अस्पताल के आंकड़ों पर गौर करें तो प्रतिदिन औसतन 40 से 45 मरीज रैबिज का इंजेक्शन लगाने आते हैं। रसड़ा हिसं के अनुसार स्थानीय सीएचसी में कुत्तों और बंदरों को काटने पर लगने वाला एंटी रैबीज इंजेक्शन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यहां ...