अलीगढ़, जुलाई 14 -- अलीगढ़। ताला-तालीम की ज़मीन ने न जाने कितनी शख़्सियतों को जन्म दिया है लेकिन कुछ नाम ऐसे होते हैं जो वक़्त के साथ मिटते नहीं, बल्कि और निखरते हैं. उन्हीं में से एक नाम है एम हबीब खान का। एक ऐसे तालीमी शख़्स जो ज़िंदगी भर मुफ़्त तालीम देकर आने वाली नस्लों को रोशन करते रहे। एएमयू से जुड़े चमन स्कूल (ऊपरकोट, काज़ीपाड़ा) में निस्वार्थ भाव से बच्चों को पढ़ाया और समाज को सच्चे मायनों में रोशन किया। उनकी लिखी गईं 24 उर्दू की किताबें और मुख़्तलिफ़ शायरों पर किया गया काम उनकी अदबी गहराई का सबूत हैं। उनको याद करते हुए सिविल लाइन क्षेत्र में आयोजित कार्यक्रम में वक्ताओं ने एम हबीब को याद किया। इस दौरान उनके बेटे एम जमाल खान आदि मौजूद थे।
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