संतकबीरनगर, अप्रैल 24 -- संतकबीरनगर, हिन्दुस्तान टीम। संतकबीरनगर जिले को कपड़ा बुनाई केन्द्र के रूप में पहचान दिलाने वाला हथकरघा व पावरलूम उद्योग दम तोड़ रहा है। कच्चे माल की कमी व सुविधाओं के अभाव से अब एक दायरे में सिमट गया है। इस उद्योग को जिंदा रखने के लिए सुविधाओं की मांग होती रही पर आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। उद्योग को जिंदा रखने के लिए बुनकरों को सुविधाएं धरातल पर उतारने वाले भागीरथ का इंतजार है। अभी हाल यही है कि आश्वासनों और वायदों की सुविधा पर बुनकर अपना ताना-बाना बुनने पर मजबूर हैं। वर्तमान समय में कई हुनरमंद हाथ उद्यमी से मजदूर बन चुके हैं। पावरलूम की मशीनें धूल फांक रही हैं। जो परिवार इस कार्य को कर भी रहे हैं वे कर्ज के बोझ के तले दबे हुए हैं। जिले में वैसे तो कपड़ा बुनाई का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है। मशीनीकरण के पहले...