लखनऊ, अगस्त 19 -- राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने निजीकरण की प्रक्रिया को रद्द करके पावर कॉरपोरेशन की जगह फिर से राज्य विद्युत परिषद के गठन की मांग की है। उपभोक्ता परिषद ने कहा कि वर्ष 2000 में विद्युत परिषद को भंग कर पावर कॉरपोरेशन और चार वितरण कंपनियों का गठन किया गया था। तब भी इसके पीछे सुधार करने को ही वजह बताया गया था। हालांकि, बाद में भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में पूरी सुधार प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए उसे फेल बता दिया था। उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि वर्ष 2004 में कैग ने सुधार कदमों की समीक्षा की थी। तब कैग ने कहा था कि विद्युत परिषद के विघटन का कोई लाभ नहीं हुआ। बड़े पैमाने पर घाटा बढ़ा। ट्रांसमिशन व वितरण हानियां बढ़ीं। उपभोक्ता सेवाओं में सुधार नहीं हुआ। प्रबंधन में कुप्रबं...