समस्तीपुर, नवम्बर 5 -- ताजपुर। कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर मिथिला के लोक पर्व सामा चकेवा भाव विह्वल नेत्रों से विदाई के साथ ही सम्पन्न हो गया। मालूम हो कि यह पर्व ग्रामीण आंचल में छठ महापर्व के समापन के साथ ही शुरू हो जाता है। गांव में शाम ढलते ही बालिकाएं समूह में घर के दरवाजे पर एक साथ सामा-चकेवा की प्रतिमा रखकर, दीप जलाकर, गीत गाती हैं। साथ ही जट-जटिन खेलकर चुगला दहन करती हैं। यह प्रक्रिया पूर्णिमा की रात सामा-चकेवा की विदाई के रूप में विभिन्न जलाशयों में प्रतिमा विसर्जन के साथ संपन्न हो जाती है। भाई डोली बनाकर उसमें सामा-चकेवा को ले जाकर जलाशय में विसर्जित कर देता है। वहीं उनकी बहना पीछे-पीछे विदाई गीत, सोहर, समदन गाती चलती है।

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