देहरादून, नवम्बर 7 -- अलग राज्य बनने के बाद उत्तराखंड को जल विद्युत सेक्टर में 25 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की संभावनाओं की चलते ऊर्जा प्रदेश का नाम दिया गया। लेकिन इन 25 साल में राज्य केवल 4264 मेगावाट ही उत्पादन ही शुरू कर पाया है। प्रदेश में कई परियोजनाएं राज्य सरकार की मंजूरी के बाद भी पर्यावरण व अन्य पेच के चलते शुरू नहीं हो पा रही हैं। जबकि राज्य में घरेलू व उद्याेगों की बढ़ती जरूरतों के चलते बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में बिजली संकट से उबरना सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। उत्तराखंड मांग के अनुरूप उत्पादन न होने से बिजली के लिए बाजार पर निर्भर है। हालांकि अब सरकार ने बिजली उत्पादन के नए क्षेत्रों में भी प्रयोग करना शुरू किया है। इनसे बिजली का उत्पादन शुरू होने पर राज्य की बिजली के लिए बाजार की महंगी बिजली पर निर्भरता काफ...
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