विनोद मुसान। देहरादून, अगस्त 30 -- उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद भी 63 प्रतिशत ग्राम प्रधान पैदल हैं। दो तिहाई सदस्यों का कोरम पूरा नहीं होने के कारण वह अपनी कैबिनेट का गठन नहीं कर पाए हैं, जिसके चलते फिलहाल उनके हाथ में कोई पावर नहीं है। ऐसे में वह अपनी ग्रामसभा में कोई विकास कार्य नहीं करा सकते हैं न ही पंचायत स्तर पर जारी होने वाली किसी प्रमाण पत्र पर अपने हस्ताक्षर कर सकते हैं। हरिद्वार को छोड़कर शेष 12 जिलों में चुनाव संपन्न होने के बाद 27 अगस्त को ग्राम प्रधान और पंचायत सदस्यों का शपथ ग्रहण के साथ पहली बैठक आयोजित की गई। 12 जिलों में 7499 ग्राम पंचायतों में से 2707 में ही बोर्ड का गठन हो पाया है। इनमें 2673 प्रधानों ने शपथ ली, जबकि 34 प्रधान विभिन्न कारणों से शपथ नहीं ले पाए हैं। ऐसे में 4792 ग्राम...