रामनगर, मई 24 -- रामनगर, संवाददाता। बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि उत्तराखंड में देवों के साथ ही संतों ने भी तपस्या की है। इसलिए तपोभूमि में आना उन्हें गौरवांवित करता है। अपनी विद्या, परंपराओं और संस्कृति को उत्तराखंड जीवंत रखता है। ऊर्जा संयम समागम के तीसरे दिन शनिवार को कानिया स्थित रिजॉर्ट में उत्तराखंड के लोक कलाकारों ने कुमाऊं-गढ़वाल की सांस्कृतिक परंपरा पर अपनी प्रस्तुतियां दीं। धीरेंद्र शास्त्री ने कलाकारों की प्रस्तुतियों की प्रशंसा की और कहा कि देवभूमि की मिट्टी को वह प्रणाम करते हैं। यह भी ऊर्जा संगम समागम ही है। कहा कि जिस पर लोग हंसते हैं, इतिहास वही रचता है। पहाड़ी वेशभूषा में कलाकारों ने यहां की विद्या, परंपराओं और संस्कृति को मंच पर निखार दिया। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत में अनूठी विद्या है और ...