देहरादून, अगस्त 6 -- खीरगंगा में आए सैलाब के बाद जो बर्बादी नजर आ रही है, वह सबकुछ सात फरवरी 2021 को ऋषिगंगा में आए जल प्रलय के समान ही है। पर्वतारोही विजय बुटोला ने रैणी आपदा को अपनी आंखों से देखा था। तीन साल पहले विजय ने उत्तरकाशी के उस नीलकंठ पर्वत को फतह किया था, जिसकी जलधराएं खीर गंगा में मिलकर धराली तक पहुंचती हैं। विजय बुटोला कहते हैं कि खीर गंगा में अचानक आए सैलाब की वजह नीलकंठ पर्वत के किसी हैगिंग ग्लेशियर का टूटना भी हो सकता है। क्योंकि मंगलवार को खीर गंगा का रौद्ररूप 2021 की ऋषिगंगा के समान नजर आया। नेहरू पर्वतारोहण संस्थान उत्तरकाशी से प्रशिक्षित विजय बुटोला चमोली गढ़वाल के लाता गांव के रहने वाले हैं। 2021 की रैणी आपदा उनके ही इलाके में आई थी। विजय ने 12 सदस्यीय दल के साथ 2022 में नीलकंठ पर्वत पर आरोहण किया था। वह कहते हैं कि ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.