चेन्नई, अगस्त 28 -- श्वर के नाम पर होने वाली राजनीति पर मद्रास हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि ईश्वर प्रतिद्वंद्विता के साधन नहीं, बल्कि एकता, शांति और आध्यात्मिक उत्थान के प्रतीक हैं। अदालत ने विनायक चतुर्थी के दौरान भगवान गणेश की मूर्ति स्थापना के लिए कई याचिकाएँ दायर करने पर ये टिप्पणी की और कहा कि दायर कई याचिकाएं आस्था से नहीं, बल्कि अहंकार से प्रेरित हैं। जस्टिस बी. पुगलेंधी की पीठ ने कहा, "यह अदालत कुछ मामलों में अंतर्निहित प्रेरणाओं को नजरअंदाज नहीं कर सकती। वर्तमान में दायर अधिकांश याचिकाएं वास्तविक धार्मिक मंशा की बजाय अहंकार के टकराव और आर्थिक प्रभाव जमाने की इच्छा से प्रेरित प्रतीत होते हैं। यह न्यायालय व्यक्तिगत बदला लेने या सामाजिक प्रभुत्व प्रदर्शित करने के लिए ईश्वर को शामिल करने की प्रथा की कड़ी निंदा ...