क्रांति भट्ट, सितम्बर 14 -- बदरीनाथ धाम के ब्रह्मकपाल घाट पर श्राद्ध करने की सनातनी परंपरा अब वैश्विक रंग ले रही है। मान्यता है कि यहां पितरों का तर्पण करने से अन्य स्थानों की तुलना में आठ गुना अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। यही वजह है कि न सिर्फ देशभर से, बल्कि अमेरिका, रूस, कनाडा और यूरोप जैसे देशों से भी लोग हजारों मील का सफर तय कर यहां अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान कर रहे हैं। यहीं भगवान शिव ने भी ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति पाई थी, इसलिए इस तीर्थ स्थल को मोक्षभूमि माना जाता है। पितरों के लिए प्रार्थना करने को बदरीनाथ से महज 500 मीटर दूर अलकनंदा के तट पर बने ब्रह्मकपाल पर हर साल श्राद्ध पक्ष में भारत के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। तीर्थ पुरोहित अरविंद हटवाल बताते हैं ब्रह्मकपाल में बीते कुछ सालों से विदेशी श्रद्धा...
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