नई दिल्ली, नवम्बर 24 -- guru tegh bahadur shaheedi diwas 2025 : "इस्लाम कबूल कर लो." मुगल बादशाह औरंगजेब के इस हुक्म के सामने जब पूरा दरबार खामोश था, तब एक आवाज बिना कांपे बोल उठी, "धर्म छोड़ना नहीं, धर्म की रक्षा करना कर्तव्य है।" आज 24 नवंबर की सुबह जब देश भर में अरदासों की गूंज उठती है, तो इतिहास का वही सुनहरा और साहसी पन्ना सामने आ खड़ा होता है। सिखों के नवें गुरु, गुरु तेगबहादुर जी, जिन्होंने न किसी के धर्म में दखल दिया, न किसी से बदला चाहा, बस इंसान की आजादी और मजहबी हक की खातिर अपने शीश की कुर्बानी दे दी। उनकी यह शहादत न केवल सिख समुदाय की, बल्कि पूरे भारतीय इतिहास की सबसे रोशन मिसाल बन गई। आज शहीदी दिवस पर आइए जानते हैं गुरु तेगबहादुर जी की कहानी. 1621 में अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर का बचपन में त्यागा मल था। उन्हें सिख परंपर...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.