चंदौली, जून 29 -- चंदौली, संवाददाता । मुहर्रम की दूसरी मजलिस में इमाम हुसैन की कुर्बानी को याद किया गया। साथ ही बनारस समेत अन्य जगहों की अंजमुमनों ने नौहाख्वानी और मातमजनी किया। साथ ही इमाम हुसैन और उनके कारवां को खिराजे अकीदत पेश किया गया। नगर स्थित मरहूम डा. अब्दुल्ला मुजफ्फर के अजाखाना-ए-रजा में मुम्बई से आए मौलाना मोहम्मद मेंहदी ने कहा कि मुहर्रम की दूसरी तारीख ऐतिहासिक है। क्योंकि इसी दिन इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ करबला की धरती पर पहुंचे थे। यही से संघर्ष, सब्र और सच्चाई की मिसाल का वह अध्याय शुरू हुआ, जो आज तक इंसानियत को राह दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि देश और इंसानियत के लिए बलिदान देना इंसान का फर्ज है। वही व्यक्ति समाज का सच्चा नायक बनता है जो अपने आराम, इच्छाओं और जीवन तक को मानवता की भलाई के लिए कुर्बान कर देता ...