जयपुर, अक्टूबर 25 -- राजस्थान की सियासत में संगठन की बात हो और उसमें पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का नाम न आए, ऐसा हो नहीं सकता। गहलोत फिर एक बार अपने पुराने अंदाज़ में लौटे हैं सधे हुए शब्दों में, लेकिन नपे-तुले निशाने के साथ। कांग्रेस के "संगठन सृजन अभियान" के तहत जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया पर उन्होंने जो कहा, वह सिर्फ़ सलाह नहीं थी, बल्कि पार्टी संस्कृति के उस मूलमंत्र की याद दिलाने जैसा था संगठन व्यक्ति से बड़ा है। गहलोत ने साफ कहा हाईकमान चाहता है कि जिलाध्यक्षों पर निष्पक्ष फीडबैक आए। कोई नेता पंचायती न करे, न सिफारिश दे, न पर्यवेक्षक को अपनी भावना बताए।" यह बयान जितना सीधा दिखता है, उतना ही गहरा है। इसमें गहलोत का वो अनुभव झलकता है जो उन्होंने दशकों तक पार्टी संगठन की नस-नस में काम करके पाया है। उन्होंने मानो यह चेतावनी दी ...