प्रयागराज, फरवरी 7 -- महाकुम्भ नगर, वरिष्ठ संवाददाता। महाकुम्भ 2025 की आभा रहे नागा संन्यासी और अखाड़े के साधु-संत वसंत पंचमी के बाद मेले से रवाना हो गए। परंपरागत रूप से तीन अमृत (शाही) स्नान के बाद अखाड़े यहां नहीं रहते हैं। माघ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को रवानगी से पहले साधु-संतों ने सभी विधानों को पूरा किया। सबसे पहले धर्म ध्वजा के नीचे स्थापित इष्ट देव को अंदर कक्ष में ले गए। जहां पर उनके सामने पूर्णाहुति हवन किया। पूर्णाहुति हवन के दौरान अष्ट कौशल के संत अपने दिगंबर वेश में आए और फिर अंदर सुरक्षित रखे गए सूर्य प्रकाश (भाले) को लिया और धर्म ध्वजा के नीचे आकर रस्सी ढीली कर दी गई। फिर पैदल ही सूर्य प्रकाश को अपने अखाड़ों के स्थायी कार्यालय लेकर गए। जिसके बाद छावनी में आकर स्नान किया, वस्त्र धारण कर कढ़ी-पकौड़ी की रस्म को पूरा कर संत प्रय...