प्रयागराज, जून 2 -- यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि अदालतें किसी आपराधिक मामले में फैसला सुना चुकी हैं तो उन्हें दोबारा उसी मामले में पुनर्विचार की शक्ति नहीं है। वह केवल लिपिकीय या अंकगणीतिय त्रुटि को ही ठीक कर सकती हैं। इसके अलावा उसमें बदलाव या समीक्षा नहीं कर सकती हैं। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने मेरठ के गोविंद उर्फ अरविंद व तीन अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया। कोर्ट ने कहा कि एक बार फैसला सुनाने के बाद उसी मामले पर फिर गुणदोष के आधार पर विचार नहीं किया जा सकता।  अदालत ऐसा करती है तो यह पहले के आदेश में बदलाव या समीक्षा होगी, जो सीआरपीसी की धारा 362 के तहत पूरी तरह प्रतिबंधित है। मामले के तथ्यों के अनुसार मेरठ सत्र न्यायालय ने याची के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 184, 149, 302, 506, 120 के तहत नए सिर...