प्रयागराज, अक्टूबर 8 -- प्रयागराज, संवाददाता। व्यंजना आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी की ओर से प्रयाग संगीत समिति में चल रहे तीन दिवसीय लोक संस्कृति उत्सव के अंतिम सत्र में कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। चर्चित कवि व लेखक नीलोत्पल मृणाल ने जैसे ही गायकी से 'कोई बलिया, देवरिया कोई आजमगढ़ से आया है, हजारों बार पैदल चलकर इलाहाबाद आया है, कई बेटियों का हौसला भी बाप से लड़कर आया है... इलाहाबाद के लड़कों, तुमसे ये मौका न छूटे प्रस्तुति दी, तो श्रोताओं ने सीट से खड़े होकर जोरदार तालियों से स्वागत किया। इस गीत को पूरा करते हुए लयबद्ध स्वर में आगे बढ़े तो 'चाहे जन्नत भी मिल जाए, दाल-भात चोखा ना छूटे सुनाकर नीलोत्पल ने समा बांध दिया। नीलोत्पल मृणाल ने पंक्तियों 'उस दौर का जादू क्या जानें ये रील बनाने वाले लड़के, 'हम मिट्टी के लोग हैं बाबू मिट्टी ही सदा उड़ाएंगे,...