नई दिल्ली, दिसम्बर 18 -- नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि 'पिछले 12 साल से मरणासन्न स्थिति में पड़े 31 साल के युवक को हम इस हालत में नहीं छोड़ सकते। शीर्ष अदालत ने एम्स की ओर से युवक चिकित्सा रिपोर्ट को दुखद बताते हुए शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी की है। जस्टिस जेबी पारदीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ ने युवक के पिता की ओर से इलाज रोककर यानी जीवन रक्षक सपोर्ट हटाकर प्राकृतिक रूप से मरने के लिए छोड़ देने की अनुमति देने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है। एम्स के डॉक्टरों की सेकेंडरी मेडिकल बोर्ड द्वारा पेश मेडिकल हिस्ट्री वाली रिपोर्ट पर विचार करने के बाद पीठ ने कहा कि 'यह बहुत दुखद रिपोर्ट है। हम इस लड़के को इस हालत में नहीं रख सकते।' हालांकि पीठ ने कहा कि इस मामले में कोई भी अंतिम आदेश पारित करने से पहले, हम ...