अंबेडकर नगर, जुलाई 14 -- सैदापुर, संवाददाता। हजरत इमाम हुसैन का गम लोगों के दिलों में बसा है। मोहर्रम में इमाम हुसैन की शहादत की याद में मजलिस, मातम व जुलूस निकाला जाता है। यह गम सिर्फ एक धार्मिक अवसर नहीं है, बल्कि यह एक गहरी भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव भी है, जो इमाम हुसैन के बलिदान और न्याय के लिए उनकी लड़ाई के प्रति सम्मान व्यक्त करता है। उक्त बातें मौलाना सैयद नूरुल हसन ने जलालपुर क्षेत्र के मछली गांव में अंजुमन असगरिया के नेतृत्व में आयोजित 16 मोहर्रम के तारीखी जुलूस से पूर्व मजलिस को खिताब करते हुए कही। जुलूस में अंजुमन असगरिया कदीम अमहट सुल्तानपुर, अंजुमन गुंचा ए मजलूमिया फैजाबाद, अंजुमन पंजतनी तुराबख्वानी सुल्तानपुर, अंजुमन दस्ता ए मासूमियां घोसी मऊ, अंजुमन रौनके अजा जलालपुर, अंजुमन गुलशने इस्लाम भौंरा समेत मुकामी अंजुमन मोईनुल ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.