लखनऊ, जून 30 -- इस्लाम के दुश्मनों ने उसको नुकसान पहुंचाने की विशेष रूप से दो प्रकार की कोशिशें की हैं। एक खुले तौर पर और दूसरे मित्रता के पर्दे में दुश्मनी की। यह कहना मुशकिल है कि इस्लाम को खुले दुश्मनों ने अधिक नुकसान पहुंचाया या पर्दे के पीछे के दुश्मनों ने। जन्नत के नौजवानों के सरदार हजरत हुसैन को भी दोनों प्रकार के दुश्मनों ने नुकसान पहुंचाया। ये बातें मौलाना मो. हारून ने इस्लामिक सेन्टर के अन्तर्गत दस दिवसीय जलसे शुहादा-ए-दीन-हक व इस्लाह-ए-मुआशरा के तहत चौथे जलसे में कहीं। मो. हारून ने कहा कि मुसलमान अच्छी तरह जानता है कि नबी पाक के नवासे हजरत इमाम हुसैन ने दीन की बुनियादी चीजों में जब तब्दीली होने लगी तो किस तरह बेचैन हो गए और बेचैनी इतनी बढ़ी कि इसकी निशानदही के लिए अपना सब कुछ लुटा दिया। यही वजह है कि हजरत हुसैन हक की अलामत बन कर...