नई दिल्ली, जून 25 -- राजस्थान की सियासत में सरकारें भले ही बदलती रही हों, लेकिन एक परंपरा जस की तस बनी रही-राजनीतिक नियुक्तियों में देरी। सत्ता में आने से पहले जो कार्यकर्ता जीत की जमीन तैयार करते हैं, वही सत्ता आने के बाद हाशिए पर चले जाते हैं। 2003 से लेकर 2025 तक, चाहे भाजपा की सरकार रही हो या कांग्रेस की, नियुक्तियों का वही 'कछुआ मॉडल' चलता रहा है। पहले सत्ता, फिर संतुलन और तब कहीं जाकर आती हैं राजनीतिक नियुक्तियां। राजस्थान में हर नई सरकार आने के बाद नियुक्तियों की प्रक्रिया महीनों-कई बार वर्षों-तक ठंडी पड़ी रहती है। कार्यकर्ता सत्ता की भागीदारी के सपने लेकर चलते हैं, लेकिन हकीकत में उन्हें 'सब्र का फल' ही मिल पाता है। हर सरकार में एक ही पैटर्न: देरी और अंत में टोकन अपॉइंटमेंट्स राजस्थान में राजनीतिक नियुक्तियों का इतिहास देखेंगे तो ...
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